Friday 22 June 2018

नेटवर्क मार्केटिंग इंडस्ट्री में जो सबसे कठीन काम है वो है, "एक कंपनी में टीके रहना"

नेटवर्क मार्केटिंग इंडस्ट्री में जो सबसे कठीन काम है वो है, "एक कंपनी में टीके रहना"

बाकी सारे काम तो आसान है,सीखे भी जा सकते है।
प्रोस्पेक्टिंग करना आसान है।
इनवाईटिंग करना भी सरल है।
फॉलोअप करना भी लोग सीख जाते है।
प्रेजेंटेशन करना भी समय चलते आही जाता है।
लेकिन टीके रहना एक कंपनी के साथ कहो तो कुछ लोगो को लगता है, जैसे उनके गले मे जहरीले साँपो की माला पहना दी गई हो, सर पे नोकीले पत्थरो का ताज हो, और पैरों में कांटो के चप्पल पहना दी गई हो।

इस बात पे ज़रा गौर कीजियेगा।
क्या होता अगर सचिन तेंदुलकर 2 साल क्रिकेट में अपना पूरा ध्यान लगाते, 1 साल बॉक्सिंग करते, 9 महीने टेनिस खेलते, 7 महीने फुटबॉल में अपना हुनर दिखाते, 6 महीने स्विमिंग की प्रैक्टिस करते, फिर 8 महीने शूटिंग पे अपना ध्यान केंद्रित करते।

क्या लगता है ऐसा करने से वो आज जहा पे पहुचे है वहा पहुच पाते?क्या वो क्रिकेट के भगवान कहे जाते, क्या उनका नाम दुनिया के सर्वोत्तम महान क्रिकेटरों में शुमार होता,क्या उनके नाम पे स्टेडियम में स्टैंड्स बनते,क्या उनकी इतनी बड़ी फैन फॉलोइंग होती?
शायद नही!
शायद क्या, बिल्कुल नही।

अगर वो क्रिकेट के अलावा अपने जीवन के हर 6 महीने में खेल बदलते रहते तो, वो आज  जिस सफलता की बुलंदियों पे है वहा कभी नही पहुच पाते।

क्या सचिन को क्रिकेट खेलते वक्त चुनैतियो का सामना नही करना पड़ा होगा?
बिल्कुल सामना किया है!
वो भी कई बार खराब फॉर्म से गुजरे है, उनको भी कई बार चोटो का शिकार होना पड़ा, कई बार उनके ऊपर मीडिया और क्रिटिक्स ने सवाल उठाए, कई बार लोगो ने उनको रिटायर होने की सलाह दी।
लेकिन वो लगे रहे,वो टिके रहे।

उनका लक्ष्य था की जब तक मैं भारत के लिए वर्ल्ड कप नही जीत लेता तब तक क्रिकेट से सन्यास नही लूंगा।
महान तो वो ही बन सकता है जो विपरीत परिस्तिथियों से लड़ते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता रहे।
खराब फॉर्म के चलते जब उनको ड्राप किया गया टीम से तो उन्होंने फुटबॉल खेलना चालू कर दिया?
उनको जब चोट लगी तो क्या उन्होंने चैस खेलना ठीक समझा?
उनको जब मीडिया और क्रिटिक्स ने यह कहके रिटायर होने को कहा कि उनकी अब उम्र होगई है, तो क्या उन्होंने केरम खेलना उचित समझा?

नही!

वो खेलते रहे, वो सिर्फ अपनी गेम पे ध्यान देते रहे, वो सिर्फ अपने अंदर की कमियों में सुधार करते रहे, वो सिर्फ अपने आपको और ज़्यादा प्रैक्टिस के हवाले करते रहे, और अंत मे हुआ वो जो किसी ने सोचा भी न था।
सचिन ने एक कीर्तिमान बना दिया, जो आज तोड़ना असंभव है।

अगर सचिन कोई और खेलो में अपना ध्यान केंद्रित करते, तो आज वो ख्याति उनको प्राप्त न होती।

दोस्तो आप इस नेटवर्क इंडस्ट्री में कीर्तिमान बनाने आये हो, या टाइम पास करने?
कीर्तिमान बना सकते हो आप भी, शर्त ये है कि टिके रहना होगा,एक ही कंपनी के साथ।

चाहे लोग कितनी ही बातें करे, चाहे लोग कितना ही बरगलाए, चाहे लोग कितना ही लालच क्यों न दे, टिके रहो, लगे रहो।
सफलता खुद आपके कदमो में नतमस्तक होगी।

त जो टिकता है वो बिकता है


आप सभी की सफलता की कामना करते हुए।

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